ब्रिटिश ईसाई धर्मगुरु आर्कबिशप ऑफ कैंटरबरी जस्टिन पोर्टल वेल्बी ने जलियांवाला बाग घटना पर दुख जताया। उन्होंने यहां विजिटर बुक में लिखा कि उन्हें इस घटना पर बेहद शर्मिंदगी महसूस होती है। आर्कबिशप ने इस दौरान प्रार्थना भी की जिसमें उन्होंने परमात्मा से इस घृणित कार्य के लिए माफी मांगी।
एक धार्मिक नेता के रूप में वह इस दुखद घटना पर शोक प्रकट करते हैं। उन्होंने वर्ष 1919 में बैसाखी वाले दिन अंग्रेज हुकूमत के जनरल माइकल ओ डायर के आदेश पर किए गए नरसंहार की घटना पर असंतोष जताया।
नरसंहार में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के बाद जस्टिन वेल्बी ने कहा, ‘मैं ब्रिटिश सरकार के लिए तो कुछ नहीं कह सकता। ना ही मैं सरकार का प्रवक्ता हूं लेकिन मैं ईश्वर के नाम पर बोल सकता हूं। यह पाप और मुक्ति का स्थान है। आपने याद रखा है कि उन्होंने क्या किया और उनकी यादें जिंदा रहेंगी। यहां हुए अपराध और उसके प्रभाव को लेकर मैं बहुत दुखी और शर्मिंदा हूं। धार्मिक नेता होने के चलते मैं इसपर शोक व्यक्त करता हूं।’
अपने दस दिवसीय भारत दौरे के आखिरी चरण में बिशप ने कहा, ‘मैं एक धर्मगुरु हूं, राजनीतिज्ञ नहीं। एक धार्मिक नेता के रूप में, मैं त्रासदी पर शोक मनाता हूं।यहां मैं लोगों के दुख को महसूस करने और ब्रिटिश लोगों की गोलियों से मारे गए लोगों की मौत पर पछतावा व्यक्त करने आता हूं।’
आर्कबिशप ने यहां विजिटर बुक में इस अत्याचार को लेकर एक बार फिर से अपनी भावनाएं नहीं रोक सके। उन्होंने लिखा, ‘यह बहुत ही दुखद है और सौ साल पहले इस तरह के अत्याचारों को देखने वाली इस जगह की यात्रा करने में मुझे शर्म आ रही है। मेरी भावनाएं भड़क रही हैं।’
गौरतलब है कि 13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश पर मशीनगन से निहत्थे लोगों को गोलियों से भून डाला था। ये लोग स्वतंत्रता सेनानियों सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी का विरोध करने इकट्ठा हुए थे। इस घटना के 100 साल बीत जाने के बाद भी ब्रिटेन ने इसके लिए औपचारिक तौर पर माफी नहीं मांगी है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह ब्रिटिश सरकार से वह औपचारिक माफी मांगने के लिए कहेंगे? उन्होंने जवाब दिया, ‘मुझे लगता है कि मैं जो महसूस करता हूं, उसके बारे में बहुत स्पष्ट हूं और मैं इसे इंग्लैंड में प्रसारित करूंगा।’
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