Tuesday, April 9, 2019

कन्या भ्रूण हत्या पर कैसे लगेगी रोक

देशभर में नवरात्रि का व्रत चल रहा है। नवरात्रि को मातृ शक्ति के पर्व के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मातृ शक्ति के रूप में सर्वत्र मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दौरान कन्याओं की चरण वन्दना कर उनका पूजन, अभिनन्दन किया जाता है। उनको भोजन करवाकर उपहार दिये जाते हैं।



वैसे भी हम सालभर प्रत्येक शुभ कार्य में कन्या पूजन करते हैं। लेकिन बड़ा सवाल है कि उसी कन्या को हम जन्म से पहले या जन्म के बाद मारने का पाप क्यों करते हैं?

आज भी समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता है। हमारे यहां आज भी बेटी पैदा होते ही उसके लालन-पालन से ज्यादा उसकी शादी की चिन्ता होने लगती है। आज महंगी होती शादियों के कारण हर बेटी का बाप इस बात को लेकर फिक्रमंद रहता है कि उसकी बेटी की शादी की व्यवस्था कैसे होगी। समाज में व्याप्त इसी सोच के चलते कन्या भ्रूण हत्या पर रोक नहीं लग पायी है। कोख में कन्याओं को मार देने के कारण समाज में लिंगानुपात की समस्या बढ़ गयी है।

कन्या भ्रूण हत्या में ज्यादा चिंता का विषय है, इसमें मां का भागीदार होना। एक मां जो खुद पहले स्त्री होती है, वह कैसे अपने ही अस्तित्व को नष्ट कर सकती है? यह भी तब जब वह जानती हो कि वह लड़की भी उसी का अंश है।

औरत ही औरत के ऊपर होने वाले अत्याचार की जड़ होती है, यह कथन पूरी तरह से गलत भी नहीं है। घर में सास द्वारा बहू पर अत्याचार, गर्भ में मां द्वारा बेटी की हत्या और ऐसे ही कई कारण हैं जिससे महिलाओं की स्थिति ही शक के घेरे में आ जाती है।

बहुत से लोग शिक्षित होने के बावजूद समाज के कन्या भ्रूण हत्या जैसे घृणित कार्य को अंजाम दे रहे हैं। जिस देश में स्त्री के त्याग और ममता की दुहाई दी जाती हो, उसी देश में कन्या के आगमन पर पूरे परिवार में मायूसी और शोक छा जाना समझ से परे है।

आज भी पुरानी सोच वाले लोग बेटियों की बजाय बेटों को ही ज्यादा तव्वजो देते हैं। बालक-बालिका दोनों प्यार के बराबर अधिकारी हैं। इनके साथ किसी भी तरह का भेद करना ठीक नहीं है।

भारत में पुरुषों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। सरकार की लाख कड़ाई के बावजूद भारत में हर साल लगभग तीन से सात लाख कन्या भ्रूण नष्ट कर दिये जाते हैं। इसलिए यहां महिलाओं से पुरुषों की संख्या 5 करोड़ ज्यादा है।

सोनोग्राफी के प्रचलन से लड़के की चाह रखनेवाले लोगों को वरदान मिल गया और कन्या भ्रूण की पहचान कर हत्या की शुरुआत हुई। इस प्रकार से पहचान कर कन्या भ्रूण की हत्या के कारण भारत में पुरुषों की संख्या में तेजी से उछाल आया।

समाज में निरंतर परिवर्तन और कार्य बल में महिलाओं की बढ़ती भूमिका के बावजूद रुढ़िवादी विचारधारा के लोग मानते हैं कि बेटा बुढ़ापे का सहारा होगा और बेटी हुई, तो वह अपने घर चली जाएगी।

बेटा अगर मुखाग्नि नहीं देगा, तो कर्मकांड पूरा नहीं होगा। भारत में 1994 में महिला भ्रूण की पहचान करनेवाले मेडिकल पेशेवरों के विरुद्ध कानून बना, लेकिन आज भी चोरी-छिपे अवैध ऑपरेटर यह काम कर रहे हैं।

पिछले 50 सालों में बाल लिंगानुपात में 63 प्वाइंट की गिरावट दर्ज की गयी है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लिंगानुपात को बढ़ाने के लिए अनेकानेक प्रयास किये गये हैं लेकिन स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती ही गयी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी इस दिशा में लगातार चिंता जतायी जाती रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसी सर्च इंजन कम्पनियों को भ्रूण लिंग जांच से जुड़े विज्ञापन और कंटेंट दिखाने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने इन कम्पनियों को एक विशेषज्ञ समिति बनाने के निर्देश दिया है जो भ्रूण लिंग जांच से जुड़े आपत्तिजनक शब्द पहचानकर उससे जुड़े कंटेंट ब्लॉक करेंगी।

हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों में भारतीय महिला खिलाड़ियों ने जो प्रदर्शन किया वो काबिले तारीफ था। हमारे देश के पुरूष खिलाड़ियों के बराबर पदक जीत कर महिला खिलाड़ियों ने दिखा दिया कि यदि उनको भी बराबरी का दर्जा व सुविधा मिले तो किसी भी क्षेत्र में वे पुरूषों से कम नहीं हैं। आज देश के हर क्षेत्र में महिलायें पुरूषों के साथ कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। अब तो महिलायें सेना में जंगी जहाज भी उड़ाने लगी हैं।

चिंताजनक यह कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है। सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम की पहल की है। इस कार्यक्रम को एक राष्ट्रव्यापी जन अभियान बनाना होगा।

भारत में लगातार घटते जा रहे इस बाल लिंगानुपात के कारण को गंभीरता से देखने और समझने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनू में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का शुभारम्भ करते वक्त कन्या भ्रूण हत्या जैसे घृणित कार्य को समाज पर कलंक बताया था। उन्होंने कहा था कि सरकार हर सम्भव कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाएगी।

जाहिर है लिंगानुपात कम होने का कारण प्राकृतिक नहीं है। यह एक मानव निर्मित समस्या है, जो कमोबेश देश के सभी हिस्सों, जातियों, वर्गों और समुदायों में व्याप्त है। भारतीय समाज में व्याप्त लड़कियों के प्रति नजरिया, पितृसत्तात्मक सोच, सामाजिक-आर्थिक दबाव, असुरक्षा, आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल इस समस्या के प्रमुख कारण हैं।

अब समय आ गया है कि समाज के पढ़े-लिखे लोगों को आगे आकर कन्या भ्रूण हत्या जैसे घिनौने कार्य को रोकने का माहौल बनाना होगा। ऐसा करने वाले लोगों को समझा कर उनकी सोच में बदलाव लाना होगा।

आज लड़कियां लड़कों से किसी भी क्षेत्र में कमतर नहीं हैं। दुश्कर से दुश्कर कार्य लड़कियां सफलतापूर्वक कर रही हैं। देश में हर क्षेत्र में महिला शक्ति को पूरी हिम्मत से काम करते देखा जा सकता है। इस नवरात्रि पर लोगों को इस बात का संकल्प लेना होगा कि न तो गर्भ में कन्या की हत्या करेंगे न ही किसी को करने देंगे, तभी देश में कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लग पाना संभव हो पाएगा।

Source:- https://insightonlinenews.in

Tuesday, April 2, 2019

भोजन और सेहत दोनों के लिए उपयोगी है हींग


भारतीय रसोई में हींग की अपनी खास जगह है। व्यंजनों में खासतौर पर खुशबू और स्वाद के लिए किया जाता है। हींग के कई फायदे हैं, जो हमारे स्वास्थ्य में लाभदायक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
दाल, सब्जी और सांभर में हींग का तड़का लग जाए तो स्वाद लाजवाब हो जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में पैदा होने वाला हींग हमारे देश में कम मात्रा में ही पाया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है जिसकी वजह से यह काफी फायदेमंद होता है। इसके औषधीय गुण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।
आमतौर पर ये गहरे लाल या फिर भूरे रंग की होती है। पेट में दर्द होने पर आप हींग को पानी में घोलकर पेट की नाभि के आस पास लगा सकते हैं इससे आप के दर्द में राहत प्राप्त होगी। भारत में यह कश्मीर और पंजाब सहित अमृतसर के कुछ हिस्सों में पैदा होता है। हींग एक बारहमासी शाक है।
हींग फेरूला-फोइटिडा नाम के पौधे का रस है। इस पौधे के रस को सुखा कर हींग बनाई जाती है। इसके पौधे 2 से 4 फीट तक ऊंचे होते हैं।ये पौधे विशेष रूप से ईरान, अफगानिस्तान, तुर्केमिस्तान, बलूचिस्तान, काबुल औैर खुरासान के पहाड़ी क्षेत्रों में होते हैं।


पेट की तकलीफ को दूर करने के लिए हींग बहुत फायदेमंद होता है। गुनगुने पानी में चुटकी भर हींग मिलाकर पीने से पेट की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। हींग के पानी में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण अस्थमा के रोग में काफी फायदेमंद होते हैं।
रोजाना हींग का पानी पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं। इसमें एंटी आॅक्सीडेंट्स गुण पाए जाते हैं। जो शरीर में खून की कमी होने से बचाते हैं। साथ ही हमारे दांतों को भी मजबूत बनाता है। यह डायबिटीज के मरीजों के भी फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इसके पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

2. अपच हो जाने पर : अपच हो जाने की स्थिति में हींग का सेवन करना बहुत फायदेमंद रहता है। गैस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपको बदहजमी की शिकायत है तो आप एक कप पानी में हींग की कुछ मात्रा मिलाकर उसका सेवन करें। इससे लाभ होगा ।
3. सांस संबंधी समस्याओं में : हींग का इस्तेमाल श्वसन नाल से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। अगर आपको बलगम या फिर छाती में दर्द की शिकायत है तो आप इसका उपचार अपना सकते हैं।
4.दर्द निवारक के तौर पर : हींग का इस्तेमाल कई तरह के दर्द दूर करने के लिए किया जाता है। पेट दर्द और सिर दर्द में इसे हल्का गर्म करके लेप करने से लाभ होता है और अगर आपके दांतों में दर्द है तो आप इसे नींबू की कुछ बूंदों के साथ मिलकार प्रभावित दांत पर लगा सकते हैं। ऐसा करने से फायदा होता है।
हींग का सेवन पुरुषों की तमाम यौन संबंधी रोगों के उपचार में भी लाभकारी है। हर रोज खाने में थोड़ा सा हींग मिलाकर सेवन करने से नपुंसकता में कमी की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
महर्षि चरक के अनुसार, हींग दमा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है। यह कफ का नाश करने वाली, गैस की समस्या से राहत देने वाली, लकवा के रोगियों के लिए फायदेमंद व आंखों के लिए भी बेहद लाभदायक होती है।
हींग का इस्तेमाल हींग-जीरा आलू, बेसनी सेव, मिर्च का आचार, जीरा, मसाला मिक्स पराठा, सूजी के गोलगप्पे, हींग का अचार, पनीर सैंडविच, गट्टा पुलाव, गोभी भुर्जी, दही भल्ले, चावल के फरे, चावल-लौकी के मुठीया, कोफ्ता पालक ग्रेवी, कोफ्ता करी, खारेक मुखवास,पालक गुटके, वेजीटेवल उपमा, ओट्स चीला, चावल की चकली,पौष्टिक बाजरे का चीला, बीटरूट शमी कबाब, पापड़ मेथी की सब्जी सहित कई पकवानों में किया जाता है। हींग में पाए जाने वाले औषधीय गुण, सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।