मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है। कुल 288 सीटों में से अब तक 169 सीटों के नतीजे घोषित किए जा चुके हैं। भाजपा-शिवसेना गठबंधन 95 सीटें जीत चुका है, जबकि 59 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस-राकांपा गठबंधन अब तक 63 सीटों पर जीत दर्ज कर चुका है, जबकि 48 सीटों पर आगे है। अन्य दलों व निर्दलीयों ने अब तक 11 सीटें जीती हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण-पश्चिम से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. आशीष देशमुख को 36 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। शिवसेना उम्मीदवार आदित्य ठाकरे मुंबई की वर्ली सीट से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने राकांपा उम्मीदवार सुरेश माने को 67,427 मतों से हराया।
फडणवीस सरकार के पांच मंत्री चुनाव हारे हैं। भाजपा उम्मीदवार एवं राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे परली सीट से चुनाव हार गयी हैं। उनको राकांपा उम्मीदवार एवं विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने 30 हजार से अधिक मतों से पराजित किया।
फडणवीस सरकार के जो पांच मंत्री चुनाव हारे हैं उनमें पंकजा मुंडे, राम शिंदे, विजय शिवतारे, अर्जुन खोतकर व बाला भेगड़े शामिल हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष विजयकुमार औटी भी चुनाव हार गए हैं।
कोथरूड सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील भी चुनाव जीत गए हैं। पाटील को 54.07 प्रतिशत मत मिले। उन्होंने मनसे उम्मीदवार किशोर नाना शिंदे को 25 हजार से ज्यादा मतों से हराया। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राकांपा उम्मीदवार अजित पवार बारामती सीट से चुनाव जीत गए हैं। उनको कुल 83.24 प्रतिशत मत मिले। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार गोपीचंद कुंडलीक पडलकर को 165,265 मतों से पराजित किया।
पिछली बार भाजपा-शिवसेना अलग-अलग लड़ी थीं। इस बार दोनों का गठबंधन है। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा 122 और शिवसेना 63 सीटें जीती थीं।
बीड़ जिले की परली विधानसभा सीट से राज्य सरकार की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे चुनाव हार गयी हैं। पंकजा को उनके चचेरे भाई राकांपा उम्मीदवार धनंजय मुंडे ने करीब 30 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया। धनंजय राज्य विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। धनंजय को 1,22,114 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी पंकजा को 91,413 मत से ही संतोष करना पड़ा। पंकजा भाजपा के कद्दावर नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं।
हरियाणा: भाजपा सबसे बड़ा दल लेकिन बहुमत से दूर
चंडीगढ़ । हरियाणा के चुनाव परिणाम में किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बाद प्रदेश की राजनीति में अब जोड़तोड़ का खेल शुरू हो गया है। भाजपा 38 सीटों पर, कांग्रेस 33 पर आगे, जजपा के 10 प्रत्याशी आगे। चुनाव परिणाम के तुरंत बाद ही यह खेल शुरू हो चुका है। भाजपा और कांग्रेस ने जहां जननायक जनता पार्टी और निर्दलीय विधायकों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं वहीं पर्दे के पीछे होने वाला खेल भी इसके साथ ही शुरू हो गया है।
90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए भाजपा व कांग्रेस दोनों को ही विधायकों का बहुमत जुटाना पड़ेगा। इसके लिए जोड़तोड़ शुरू हो गया है।
भाजपा ने जहां एनडीए के सबसे वरिष्ठ नेता पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से आग्रह किया है कि वह दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला को भाजपा को समर्थन देने के लिए राजी करें वहीं कांग्रेस की तरफ से इस मामले में पहल करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा को छोडक़र सभी राजनीतिक दलों के विधायकों को आह्वान किया है कि भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए सभी एकजुट होकर महागठबंधन के बैनर तले नई सरकार का गठन करें।
हुड्डा ने इनेलो, जजपा, हलोपा व निर्दलीय विधायकों को एकजुट होने का आह्वान किया है। हालांकि जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने कोई भी राजनीतिक फैसला लेने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में सभी विधायकों की बैठक बुला ली है। इस बैठक में कांग्रेस या भाजपा को समर्थन देने के संबंध में फैसला किया जाएगा।
इसी दौरान इनेलो नेता एवं ऐलनाबाद से विधायक बने चौधरी अभय सिंह चौटाला ने हुड्डा के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि इनेलो कभी भी कांग्रेस का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने षड्यंत्र के तहत इनेलो सुप्रीमो चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और अजय सिंह चौटाला को जेल की सजा करवाई थी। जिस पार्टी ने इस प्रकार का षड्यंत्र करते हुए उसके शीर्ष नेताओं को झूठे केस में फंसाकर सजा दिलवाई हो, उसे इनेलो एवं उसके कार्यकर्ता कभी भी माफ नहीं कर सकते।
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